सहारा न्यूज टुडे/दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड ह्यूमैनिटीज में सोमवार को ‘सामाजिक विज्ञान के लिए कृत्रिम मेधा’ विषयक सात दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ किया गया। इस दौरान कार्यशाला के उद्घाटन समारोह में एक समझौता ज्ञापन पर भी हस्ताक्षर हुए। इस एमओयू में सीएसजेएमयू की तरफ से कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक, कुलसचिव डाॅ0 अनिल कुमार यादव व बृहत शिक्षा संस्थान की तरफ से वरिष्ठ अनुसंधान सहयोगी श्री सुशांत गंगोली, कविता कृष्ण और निदेशक शिक्षा नीति श्री अनुराग शुक्ला के द्वारा हस्ताक्षर किए गए। इस कार्यशाला में ये भी बताया गया की बृहत शिक्षा संस्थान में उपलब्ध उच्च गुणवत्ता परक कृत्रिम मेधा के माध्यम से छात्रों के मध्य शिक्षा के साथ साथ भारतीय संस्कृति और धार्मिक परंपरा को आज के आधुनिक जीवन की दिनचर्या में कैसे शामिल कर सकते हैं।
इस कार्यशाला का शुभारंभ कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक, प्रतिकुलपति प्रो0 सुधीर कुमार अवस्थी, कुलसचिव डाॅ0 अनिल कुमार यादव एवम मुख्य अतिथि अनुराग शुक्ला (बृहत शिक्षा संस्थान), सुशांत गंगोली (बृहत शिक्षा संस्थान), कविता कृष्ण (बृहत शिक्षा संस्थान) ने दीप प्रजवल्लन के साथ किया।
प्रतिकुलपति प्रो0 सुधीर कुमार अवस्थी ने अपने संबोधन में कहा की यदि तकनीकी हमारे समाज के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति तक पहुंच रही है तो ऐसी तकनीकी हमें स्वीकार है परंतु तकनीकी की वजह से रिश्तों की मानहीनता न हो। बृहत शिक्षा संस्थान के निदेशक श्री अनुराग शुक्ला ने बताया की कैसे वर्तमान समय में ए. आई. हमारे रोजमर्रा की आवश्यकताओं में शामिल होता जा रहा है और भविष्य में मानव जीवन की असीम संभावनाएं ए.आई. के माध्यम से ही सफल हो पाएंगी।
इस समझौता ज्ञापन के प्रमुख श्री सुशांत गंगोली ने इस एमओयू की व्याख्या करते हुए अपने व्याख्यान में कहा कि आर्टिफीशियल इंटेलिजेंस आज के समय की ऐसी शक्ति है जो धर्म दृष्टि और दिशा तीनों से परिपूर्ण हैं। उन्होंने इस एमओयू की पांच अभिभूतियां भी बताई जो नीति निर्माता , शैक्षणिक ज्ञाता, औधोगिक विशेषज्ञ,माता पिता और युवाशक्ति हैं। इस कार्यशाला में ऑनलाइन माध्यम से भारतीय विश्वविद्यालय संघ की प्रधान सचिव श्रीमती पंकज मित्तल ने बताया की कृत्रिम मेधा कैसे शैक्षणिक जीवन में सीखना, सिखाना और खोज के क्षेत्र में कैसे स्तायितव स्थापित कर रहा है और बताया की एआई किस प्रकार से शिक्षा के क्षेत्र में एक क्रांति बन रहा है। उन्होंने ये भी कहा की कैसे हम एआई के इस्तेमाल से अपने भारतीय ज्ञान प्रणालियों में बदलाव ला सकते है और शिक्षण संस्थानों को उच्च स्तरीय बना सकते है।
कार्यक्रम के अंत में कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक समस्त श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा की ऐसी ही संगोष्ठियों और कार्यशालाओं के माध्यम से हमारे विश्वविद्यालय के छात्रों को प्रतिदिन कुछ न कुछ नया सीखने का अवसर प्राप्त होता है।
इस कार्यशाला के कार्यक्रम का मंचसंचालन डॉ0 रत्नार्थु मिश्रा ने किया। कार्यक्रम में स्कूल ऑफ आर्ट्स ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेस के निदेशक डॉ0 प्रशांत मिश्रा असिटेंट प्रो0 डॉ0 अंशु सिंह, डॉ0 मयूरी सिंह, समरेंद्र चौहान एवम विभाग के अन्य शिक्षकगण और छात्र छात्राएं मौजूद रहे।