सहारा न्यूज टुडे/दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ आर्ट्स, ह्यूमैनिटीज एंड सोसल साइंसेस में ‘सामाजिक विज्ञान के लिए कृत्रिम मेधा’ विषय पर चल रही सात दिवसीय कार्यशाला के दूसरे दिन मंगलवार को प्रथम सत्र की मुख्य वक्ता के रूप में डॉ0 शिल्पी कुकरेजा ने अपने विचार प्रस्तुत किये। माननीय कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक के मार्गदर्शन में आयोजित इस कार्यशाला में बड़ी संख्या में छात्रों ने भागीदारी की। मुख्य वक्ता डॉ0 शिल्पी कुकरेजा ने मनोविज्ञान के क्षेत्र में आधुनिक तकनीकी कृत्रिम मेधा का सही उपयोग की विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने अपने व्याख्यान में विश्व स्वास्थ्य संगठन के पांच स्वास्थ सूचकांकों का वर्णन करते हुए बताया कि कैसे हमे गणनात्मक शोध की अपेक्षा गुणात्मक शोध पर ध्यान देना चाहिए और इसे किस प्रकार से प्रभावी बना सकते हैं।
कार्यशाला के द्वितीय सत्र में बृहत शिक्षा संस्थान के अमृतांशु पाण्डेय ने बताया कि कैसे वर्तमान समय में ए.आई. मानव जीवन का अभिन्न अंग बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि लार्ज लैंग्वेज मॉडल जिसके अंतर्गत एआई का वादा साकार होने लगा और ये हमारे जीने और कार्य करने के तरीके के आगे बढ़ाने में परिवर्तनकारी होगा। हमें यह ध्यान रखना होगा कि तकनीकी का उपयोग हमें किस प्रकार करना है क्योंकि तकनीकी जितनी हमारे लिए हितकारी है, उतनी ही अधिक घातक भी है। उन्होंने कुछ अन्य एआई मॉडल्स जैसे चैट जीपीटी, बिंग, क्लॉड, ब्लैक बॉक्स इत्यादि के बारे में बताया। उन्होंने ओपन एआई (सोरा) के बारे में भी परिचय दिया जो कि एक टेक्स्ट टू वीडियो मॉडल है। कार्यशाला के अंतिम चरण में छात्रों एवं शोधार्थियों ने एआई की उपयोगिता से जुड़े सवालों को पूछकर अपनी जिज्ञासा को शांत किया। कार्यशाला की समन्यवक डॉ0 अंशु सिंह अन्य संकाय सदस्यों के साथ छात्र व शोधार्थी ऑनलाइन एवम ऑफलाइन माध्यम से सम्मिलित हुए।