सहारा न्यूज टुडे/दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कृषि विज्ञान केंद्र दलीपनगर में प्रधानमंत्री कृषक सम्मान निधि की 16वीं जारी होने के सजीव प्रसारण के साथ ही एक गोष्ठी का आयोजन कर समसमयिक जानकारियां दी गयी। योजना के अंतर्गत आज़ 11 करोड़ से ज्यादा किसानों को अब तक 2.80 लाख करोड़ रुपए दिए जा चुके हैं। अब तक पात्र किसानों को 15 किस्त मिल चुकी है और आज 16वीं किस्त जारी की गयी। कार्यक्रम में ज्योंति, अनूपपुर, मझियार, सहतवनपुरवा से आये 140 कृषकों एवम कृषक महिलाओं ने प्रतिभाग किया। कृषकों से वार्ता करते केंद्र के प्रभारी डॉ0 अजय कुमार सिंह ने कहा कृषि में रखरखाव, देखभाल का अपना अलग महत्व है।जायद फसलों की बुआई का समय वैसे तो पिछले माह से ही शुरू हो गया है परंतु इस वर्ष गिरते तापमान के चलते कद्दूवर्गीय फसल तरबूज, खरबूज, लौकी, टिन्डा, कद्दू, करेला आदि के बीजों की बुआई यदि सीधे -सीधे खेतों में नदी किनारे की गई हो तो अंकुरण में गिरावट आ सकता है।
कद्दूवर्गीय सब्जियों को मानव आहार का एक अभिन्न अंग माना जाता है। इन्हें बेल वाली सब्जियों के नाम से भी जाना जाता है जैसे – लौकी, खीरा, तोरई, करेला, कद्दू, तरबूज एवं खरबूज की खेती गर्मी के मौसम में आसानी से की जा सकती है। इन सब्जियों की अगेती खेती करके किसानों द्वारा अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है। पोषण की दृष्टि से यह बहुत ही महत्वपूर्ण है क्योंकि इसमें आवश्यक विटामिन, खनिज तत्व पर्याप्त मात्रा में पाये जाते हैं जो हमें स्वस्थ रखने में सहायक सिद्ध होते हैं। कद्दूवर्गीय सब्जियों की उपलब्धता वर्ष में आठ से दस महीने तक रहती है। डॉ0 खलील खान ने बताया की कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है। लेकिन दुमट व बलुई दोमट मिट्टी अच्छी मानी जाती है क्योंकि इसमें जल निकास अच्छी तरह से हो जाता है। मिट्टी में कार्बनिक तत्व पर्याप्त मात्रा में हो साथ ही पीएच मान करीब 6 से 7.5 के मध्य हो। इस अवसर पर डॉक्टर निमिषा अवस्थी सहित अन्य वैज्ञानिक उपस्थित रहे।