सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉ0 आनंद कुमार सिंह के निर्देश के क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर के मृदा वैज्ञानिक डॉ0 खलील खान ने किसान भाइयों के लिए गर्मी की खेतों में गहरी जुताई हेतु एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा है कि ग्रीष्मकालीन गहरी जुताई अपने खाली खेतों में अवश्य करें। डॉक्टर खान ने बताया कि आगामी फसल से अच्छी पैदावार लेने के लिए रबी फसल की कटाई के तुरंत बाद गहरी जुताई कर ग्रीष्म ऋतु में खेत को खाली रखना लाभप्रद होता है। उन्होंने कहा कि जहां तक संभव हो सके किसान भाई मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई कर दें। खाली खेत में गहरी जुताई मई माह में अवश्य कर लें। इस गहरी जुताई से जो ढेला बनते हैं वे धीरे-धीरे हवा व बरसात के पानी से टूटते रहते हैं। साथ ही जुताई से मिट्टी की सतह पर पड़ी फसल अवशेष की पत्तियां पौधों की जड़ें एवं खेत में उगे हुए खरपतवार आदि नीचे तक जाते हैं। जो सड़ने के बाद खेत की मिट्टी में कार्बनिक खादों/ जीवांश पदार्थ की मात्रा में बढ़ोतरी करते हैं इससे भूमि में वायु संचार एवं जल धारण क्षमता बढ़ जाती है। गहरी जुताई से गर्मी में तेज धूप के कारण कीड़े मकोड़े एवं बीमारियों के जीवाणु खत्म हो जाते हैं। मृदा वैज्ञानिक ने बताया कि ग्रीष्मकालीन जुताई से जलवायु का प्रभाव सुचारु रुप से मिट्टी में होने वाली प्रक्रियाओं पर पड़ता है और वायु तथा सूर्य के प्रकाश की सहायता से मिट्टी में विद्यमान खनिज अधिक सुगमता से पौधे भोजन के रूप में ले लेते हैं उन्होंने बताया कि किसान भाइयों को गर्मी की जुताई दो-तीन वर्ष में एक बार अवश्य कर देनी चाहिए। डॉक्टर खान ने बताया कि अनुसंधान के परिणामों में यह पाया गया है कि गर्मी की जुताई से भूमि कटाव में 66.5% तक की कमी आई है।