सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
10 अगस्त से दो सितम्बर तक खिलाई जाएगी फाइलेरिया से बचाव की दवा
37 लाख से अधिक लोगों को फाइलेरिया की दवा खिलाने का लक्ष्य, 2980 टीमें गठित
दो वर्ष से कम,गर्भवती महिला और अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर करेंगे दवा का सेवन
कानपुर। जिलाधिकारी की अध्यक्षता में फाइलेरिया उन्मूलन के लिए अंतरविभागीय समन्वय बैठक आयोजित। जिले के लोगों को लाइलाज बीमारी फाइलेरिया से बचाने के लिए अगले माह दस अगस्त से सर्वजन दवा सेवन (आईडीए) अभियान शुरू किया जाएगा। फाइलेरिया उन्मूलन के लिए मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के सफल क्रियान्वयन को लेकर सरसैया घाट स्थित नवीन सभागार में शुक्रवार को जिलास्तरीय स्वास्थ्य समन्वय समिति की बैठक हुई। बैठक जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह की अध्यक्षता में आहूत की गयी। जिलाधिकारी ने बैठक में सभी विभागों को अंतर विभागीय समन्वय स्थापित कर अभियान को सफल बनाने का निर्देश दिया।
जिलाधिकारी ने निर्देशित किया कि कोरोना के दौरान शहरी क्षेत्र के वार्डों में जिन निगरानी समितियों का गठन किया गया था उनका सहयोग इस सर्वजन दवा सेवन अभियान में लिया जाये। इसके साथ उन्होंने कहा इस अभियान दौरान किसी विभाग के स्तर से लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा की अभियान के दौरान स्वास्थ्य विभाग सहयोग से समस्त सरकारी विभागों जैसे कलेक्ट्रेट, विकास भवन, पुलिस विभाग, शिक्षा विभाग, समाज कल्याण, यूपीआरएलएम आदि में बूथ लगवाकर लोगों को दवा सेवन करवाया जाये। इसके साथ ही कहा कि आशा बहु व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता अभियान से पहले ही बीमारी की भयावहता के बारे में लोगों से चर्चा करें और अभियान के दौरान आशा कार्यकर्ता के साथ सक्रिय भूमिका निभाते हुए दवा का सेवन करवाएं। जिलाधिकारी ने अपील की कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन कार्यक्रम के तहत फाइलेरिया की दवा खाकर स्वयं को फाइलेरिया से सुरक्षित एवं कानपुर जनपद को फाइलेरिया से मुक्त बनाएं।
बैठक में वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल के नोडल अधिकारी व एसीएमओ डॉ0 आरपी मिश्रा ने बताया कि अभियान के तहत दस अगस्त से दो सितम्बर तक दो सदस्यों की टीम घर घर जाकर लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलाएंगी। इसके लिये ग्रामीण क्षेत्र के 19,70,552 और शहरी क्षेत्र के 17,54,195 लोगों को दवा खिलाने का लक्ष्य है। बताया कि प्रबंधन के जरिये लिम्फोडिमा को नियंत्रित किया जा सकता है लेकिन पूरी तरह ठीक नहीं किया जा सकता है । लाइलाज बीमारी फाइलेरिया (हाथीपांव) से बचने के लिए तीन साल तक लगातार साल में एक बार बचाव की दवा का सेवन जरूरी है।
जिला मलेरिया अधिकारी अरुण कुमार सिंह ने कहा कि फाइलेरिया विश्व में दिव्यांगता का दूसरा सबसे बड़ा कारण है। आईडीए अभियान को मजबूती प्रदान कर सुनिश्चित किया जाए कि जिले में एक भी नया संक्रमण न फैलने पाए। दो वर्ष से अधिक उम्र के सभी लोगों को (गर्भवती और अति गंभीर बीमार लोगों को छोड़ कर) फाइलेरिया से बचाव की तीनों दवाएं खिलानी हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के जोनल कोआर्डीनेटर डॉ0 राहुल ने पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन से बताया कि एक से दो वर्ष के बीच के बच्चों को सिर्फ पेट के कीड़े मारने की दवा दी जाएगी। अभियान 10 से 2 सितम्बर तक सोमवार, मंगलवार, गुरूवार और शुक्रवार को चलेगा। किसी को भी खाली पेट दवा नहीं खिलाई जाएगी। इसी वजह से अभियान का समय सुबह 11 बजे से शाम चार बजे तक रखा गया है। प्रत्येक दिन खिलाई गई दवा का विवरण ई कवच पोर्टल पर फीड करना अनिवार्य है। इस बार समस्त दस ब्लॉकों के साथ जिले में शहरी क्षेत्र के पाँच प्लानिंग यूनिट में यह अभियान चलेगा। पहली बार अभियान की टीम में एक पुरुष सदस्य भी रखा जाएगा ताकि हाथीपांव और हाइड्रोसील के नये पुरूष मरीजों की भी आसानी से पहचान की जा सके। इसके लिए 2980 टीम बनाई गई हैं। प्रत्येक टीम को एक दिन में 25 घर का भ्रमण कर कम से कम 125 लोगों को फाइलेरिया से बचाव की दवा खिलानी होगी।
इस अवसर पर फाइलेरिया रोगी नेटवर्क सदस्य महेंद्र सिंह ने जिलाधिकारी के समक्ष फाइलेरिया होने के बाद से दैनिक जीवन में आने वाली परेशानियां साझा की। उन्होंने अपील की कि जैसे मैं इस बीमारी से गुजर रहा हूँ वैसे कोई ना गुजरे। सभी लोग फाइलेरिया से बचाव की दवा का सेवन जरूर करें। बैठक में समस्त सभी अपर मुख्य चिकित्सा अधिकारी, अर्बन नोडल अधिकारी, डीसीपीएम, सहायक मलेरिया अधिकारी, फाइलेरिया परामर्शदाता सहित सहयोगी संस्था सीफार, पीसीआई संस्था के प्रतिनिधि प्रमुख तौर पर मौजूद रहे।
रैपिड रेस्पोंस टीम रहेगी तैनात
डीएमओ ने बताया कि फाइलेरिया रोधी दवाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। इसके अलावा रक्तचाप, शुगर, अर्थरायीटिस या अन्य सामान्य रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी ये दवाएं खानी हैं। अगर किसी को दवा खाने के बाद उल्टी, चक्कर, खुजली या जी मिचलने जैसा महसूस होता है तो जैसे लक्षण होते हैं तो उस व्यक्ति के शरीर में फाइलेरिया के परजीवी मौजूद हैं। किसी लाभार्थी को दवा सेवन के बाद किसी प्रकार की कोई कठिनाई महसूस होती है तो उससे निपटने के लिए हर ब्लॉक में रैपिड रेस्पोंस टीम तैनात रहेगी।