सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
अकबरपुर नगर पंचायत के अयोध्या नगर निवासी राम कृष्ण सविता के सुपौत्र प्रतीक उर्फ सागर की मौत से कस्बे में फैली सनसनी हजारों की संख्या में घटनास्थल और मृतक के आवास पर जमा रहे लोग
कानपुर देहात। जीवन यात्रा के समापन की राह पर खड़े अकबरपुर नगर पंचायत के अयोध्या नगर निवासी राम कृष्ण सविता पर आज कुदरत की बड़ी गाज गिरी है। वर्षों पूर्व एक पुत्र और कुछ वर्ष पूर्व अपनी अर्धांगिनी को अंतिम विदाई देने के बाद राम कृष्ण सविता अपने कुल तीन पुत्रों और उनके बच्चों को हंसता खेलता देख ईश्वर का शुक्रिया अदा कर रहे थे। लेकिन शायद उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि समय को तो कुछ और ही मंजूर है। एक पुत्री का सिंदूर उजड़ जाने और नवासी की मौत के सदमे से परिवार अभी उभर भी नहीं पाया था कि सोमवार का दिन परिवार पर दुखों के पहाड़ टूटने के जैसा तब साबित हुआ। जब श्री सविता के सुपौत्र की संदेह जनक परिस्थितियों में अकबरपुर के ऐतिहासिक शुक्ल तालाब में डूब जाने से दर्दनाक मौत हो गई। प्रत्यक्ष दर्शियों की माने तो मृतक मोबाइल फोन पर किसी से बात कर रहा था और बात करते-करते तालाब में कूद गया।जबकि कुछ लोग यह भी बताते रहे थे कि तालाब में कूदने के पूर्व मृतक ने भगवान भोलेनाथ का विधिवत पूजन किया था। घटना की जानकारी लगते ही परिजनों के होश उड़ गए। आनन फानन में रोते बिलखते परिजन घटनास्थल पर पहुंचे लेकिन सूचना मिलते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने गोताखोरों की मदद से शव को तालाब से बाहर निकलवा कर पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया। उपरोक्त सूचना जंगल में आग की तरह फैल गई हजारों की संख्या में लोग घटनास्थल और मृतक के घर के बाहर जमा रहे।
कहना गलत नहीं होगा कि अयोध्या नगर निवासी राम कृष्ण सविता के रूप में लोगों को संघर्ष की बड़ी मिसाल नजर आती है दिन को दिन और रात को रात न समझ कर केवल परिवार की जिम्मेदारियां का निर्वहन करने वाले राम कृष्ण सविता का जीवन अनेकों उतार चढ़ाव से होकर गुजरा है। वर्षों पूर्व अपने बेहद ही चहेते पुत्र को खो देने की पीड़ा से बिलबिला उठने वाले राम कृष्ण सविता के जीवन का संघर्ष कभी कम नहीं हुआ पुत्र की मौत के बाद भी उन्होंने किसी प्रकार खुद को संभाला और फिर से परिवार की जिम्मेदारियां का निर्वहन करते हुए कुछ समय ही बीत पाया था कि उनकी अर्धांगिनी ने भी उन्हें अकेला छोड़ दिया और परलोक सिधार गई। इसके बाद एक बार फिर हिम्मत और हौसले की जीती जागती मिसाल पेश करते हुए राम कृष्ण सविता खुद को मजबूत बनाने में कामयाब हुए। लेकिन समय को तो आखिर कुछ और ही मंजूर था। बीते वर्षों सबसे छोटी पुत्री के सिंदूर उजड़ने का भयानक मंजर इसके बाद सबसे प्यारी नवासियों की मौतो ने जीवन के आखिरी पड़ाव पर खड़े राम कृष्ण सविता को काफी हद तक तोड़ कर रख दिया था। लेकिन इसके बाद भी वह संघर्ष की राह से नहीं डिगे और बचे खुचे परिवार की खुशियों के लिए मंजिल का सफर तय करते रहे। सोमवार का दिन उन पर इतनी बड़ी गाज बनकर गिरा जिसे शब्दों में बयां कर पाना हर किसी के लिए मुश्किल साबित हो रहा था।दोपहर के समय श्री सविता के सबसे छोटे पुत्र कमलेश उर्फ सोनू का छोटा पुत्र प्रतीक उर्फ सागर 17 वर्ष शुक्ल तालाब पर मौजूद था। लोगों की माने तो उसने बाबा भोलेनाथ का विधिवत पूजन किया इसके बाद वह नगर पंचायत प्रशासन द्वारा स्थापित कराई गई बेंच पर बैठकर किसी से फोन पर बात कर रहा था। अचानक न जाने क्या हुआ कि उसने तालाब में छलांग लगा दी। मौके पर मौजूद लोगों ने शोर मचाया तो मामला तालाब के ठीक पीछे स्थित कोतवाली तक पहुंचा। जानकारी लगते ही मौके पर पहुंची पुलिस ने गोताखोरों की मदद से तालाब में डूबे प्रतीक उर्फ सागर को बाहर निकलने का प्रयास किया लेकिन तब तक उसकी मृत्यु हो चुकी थी। घटना की जानकारी लगते ही रोते बिलखते परिजन घटनास्थल पर पहुंच गए परिजनों के करुण कुदन से माहौल गमगीन हो गया। इधर घटना की सूचना जंगल में आग की तरह पूरे कस्बे में फैल गई और हजारों की संख्या में लोग घटनास्थल और मृतक के आवास पर जम रहे। कोतवाली पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा है।