सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर आनन्द कुमार सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में आज अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग के प्रोफेसर डॉ0 महक सिंह ने बताया कि खरीफ के मौसम में तिलहनी फसलों के अंतर्गत मूंगफली की खेती का महत्वपूर्ण स्थान है। डॉक्टर महक सिंह ने बताया कि देश के मूंगफली का उत्पादन विश्व के उत्पादन में 34% की भागीदारी है। उन्होंने कहा की मूंगफली का देश में क्षेत्रफल 5.02 मिलियन हेक्टेयर है तथा उत्पादन 8.11 मिलियन टन तथा उत्पादकता 1616 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। जबकि उत्तर प्रदेश में मूंगफली का क्षेत्रफल 1.01 लाख हेक्टेयर, उत्पादन एक लाख मीट्रिक टन तथा उत्पादकता 984 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर है। डॉ महक सिंह ने बताया मूंगफली के दानों में 25 से 30% प्रोटीन,10 से 12% कार्बोहाइड्रेट तथा 45 से 55% वसा पाई जाती है डॉ0 सिंह ने बताया कि मूंगफली में प्रोटीन, लाभदायक वसा,फाइबर, खनिज, विटामिंस और एंटीऑक्सीडेंट भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसलिए इसके सेवन से त्वचा उम्र भर जवां दिखाई देती है।उन्होंने बताया की मूंगफली में प्रोटीन की मात्रा मांस की तुलना में 1.3 गुना, अंडो से 2.5 गुना एवं फलो से 8 गुना अधिक होती है। उन्होंने किसान भाइयों से अपील की है कि इस समय मूंगफली की खेती लगभग 30 से 35 दिनों की हो गई होगी। तो फसल में खरपतवारों की समस्या हो तो निराई गुड़ाई अवश्य कर दें। यदि किसान भाइयों की फसल 35 से 40 दिन की हो गई हो तथा खूँटियाँ बननी शुरू हो गई हो तो निराई गुड़ाई न करें। इस समय किसान भाई जब खुटिया निकल रही हों तो जिप्सम का प्रयोग अवश्य करें, जिससे तेल की मात्रा में बढ़ोतरी होती है। उन्होंने कहा कि मूंगफली की फसल में टिक्का एक बीमारी आती है जिसके यंत्रण के लिए फफूंदी नाशक खड़ी फसल में मैनकोज़ेब 50% डब्ल्यूपी 225 ग्राम प्रति हेक्टेयर 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर 10 दिन के अंतराल पर छिड़काव कर दें। इसके अतिरिक्त मूंगफली में सफेद गिडार कीट लगता है उसके नियंत्रण के लिए किसान भाई क्लोरपीरिफॉस रसायन की 4 लीटर मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करें। उन्होंने किसान भाइयों को यह भी सलाह दी है कि मूंगफली की फसल को एक साथ पकने के लिए बोरेक्स 4 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर का बुरकाव कर दें। जब मूंगफली के अंदर का भाग कत्थई रंग का दिखाई दे तो खुदाई का उपयुक्त समय होता है।