सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर आनंद कुमार सिंह के निर्देश के क्रम में विश्वविद्यालय द्वारा संचालित थरियांव स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के फसल सुरक्षा वैज्ञानिक डॉ0 जगदीश किशोर ने बताया कि धान की फसल में तना भेदक कीट जमीन से ढाई से तीन इंच की ऊंचाई पर पौधों के तनों में छेद कर देता है।जिससे पौधा भूरे रंग का तथा चाबुक नुमा पौधे की पत्तियां दिखाई देती हैं। साथ ही धान का उत्पादन प्रभावित होता है। उन्होंने सलाह दी है कि किसान भाई नीम ऑयल 100 मिली.एक एकड़ में छिड़काव कर दें। तथा तना भेदक कीट के पूर्वानुमान हेतु एक एकड़ क्षेत्रफल में 6 से 8 फेरोमैन ट्रैप भी लगा दें। डॉक्टर जगदीश किशोर ने बताया कि धान की फसल में रस चूसने वाले कीट भी लगते हैं इसके प्रबंधन के लिए खेत की सूखी मिट्टी या रख का छिड़काव कर देना चाहिए। डॉक्टर जगदीश किशोर ने पांच दिवसीय प्राकृतिक खेती के प्रशिक्षण के दौरान कृषकों को खेतों पर प्रयोग करके भी दिखाए। इस अवसर पर केंद्र की प्रभारी डॉक्टर साधना वैश्य एवं वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक डॉक्टर जितेंद्र सिंह ने भी किसानों को संबोधित किया तथा कहा कि प्राकृतिक खेती करने से फसल उत्पादन की गुणवत्ता अच्छी रहती है। जो मानव स्वास्थ्य की दृष्टि से लाभदायक एवं पर्यावरण हितैषी है। इस अवसर पर क्षेत्र के कई किसानों ने प्रतिभाग किया।