सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर आनंद कुमार सिंह के निर्देश के क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र दिलीप नगर के मृदा वैज्ञानिक डॉ0 खलील ख़ान ने बताया कि देशी गौवंश युगो से भारतीय कृषक जीवन की शैली का हिस्सा रही हैं। गौवंश ने मानव को खेतों में हल चलाने, सड़कों पर भार ढोने, घर पर दूध और मूत्र, गोबर के साथ-साथ दैनिक जीवन में कई अन्य उपयोगी कार्यों में मदद की है। उन्होंने बताया कि देशी गाय को परिवार के एक अभिन्न सदस्य के रूप में माना जाता है। डॉ0 ख़ान ने बताया कि गाय का दूध व्यवहारिक रूप से बूढ़े एवं बच्चे सभी के लिए आवश्यक एवं पचनीय है, इसका दूध एसिडिटी को कम करता है, रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है और दिमाग को तेज करता है। उन्होंने बताया कि गौवंश का गोबर मिट्टी की उर्वरता और फसल उत्पादकता बढ़ाने में सहायक है। गाय के गोबर की खाद एक प्राकृतिक खाद है और गाय के गोबर से कई अन्य जैविक खाद बनाई जा सकती है। गाय आधारित प्राकृतिक जैविक खेती से मिट्टी की उत्पादकता में कई गुना वृद्धि हुई है। अब किसानों के लिए रसायनों और खतरनाक जहरीले पदार्थों से भूमि को दूषित किए बिना विविध फसलें लेना संभव है।