सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति डॉक्टर आनंद कुमार सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में विश्वविद्यालय के थरियांव स्थिति कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ0 जगदीश किशोर ने बताया कि बरसात के मौसम में मधुमक्खियों के शत्रु एवं उनका प्रबंधन करना नितांत आवश्यक होता है। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों के प्रमुख शत्रु ततैया, चीटियां, छिपकली, मेंढक, गिरगिट एवं चीटियां इत्यादि हैं। डॉक्टर जगदीश ने बताया कि वर्षा ऋतु में पतंगा कीड़ा मधुमक्खियों को ज्यादा नुकसान पहुंचाते हैं। इन के प्रकोप से ग्रसित मौन वंश कमजोर पड़ जाते हैं। छत्तों में जाले लग जाने से रानी मक्खी अंडे देना बंद कर देती है। इसके नियंत्रण के लिए सल्फर या एथिलीन डाई ब्रोमाइड से धूमन कर दें। इसी प्रकार डॉ0 जगदीश किशोर ने बताया कि बरसात के मौसम में चीटियों की रोकथाम के लिए मौन ग्रह के पायों को पानी भरी प्यालियों में रखें तथा बक्सों के आसपास जगह को साफ सुथरा रखें यदि चीटियों ने कॉलोनी बना ली हो तो उसे नष्ट करने दें। डॉक्टर जगदीश ने बताया कि मधुमक्खियों को बरसात के समय हरी चिड़िया भी नुकसान पहुंचाती है उन्होंने बताया कि बक्से जहां रखे हो वहां पर पेड़ पर चिड़ियों को न बैठने दें। उन्होंने कहा कि बरसात में बर्र मौन ग्रहों से बाहर आ जाती मधुमक्खियों को अपना शिकार बनाती हैं इसके लिए बर्र के छत्तो का पता कर नष्ट कर देना चाहिए। डॉक्टर जगदीश किशोर ने कहा कि बरसात में इन बातों का ध्यान रखने पर मौन पालक अच्छी आय प्राप्त कर सकते हैं।