सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। नमस्ते वियतनाम 2024 समारोह का पहला दिन मुख्य रूप से भारत वियतनाम के बीच सांस्कृतिक एवं सामाजिक संबंधों को बढ़ाने को लेकर तो वहीं दूसरा दिन उच्च शिक्षा सहयोग एवं संबंधों को समर्पित रहा। समारोह के दूसरे दिन वियतनाम व भारत के मध्य उच्च शिक्षा संबंधों को नए स्तर पर पहुंचाने एवं भारतीय विश्वविद्यालयों में वियतनामी छात्र-छात्राओं को आकर्षित करने हेतु बृहद एजुकेशन फेयर का आयोजन हुआ जिसमें 500 से अधिक प्रतिनिधियों एवं छात्र-छात्राओं ने प्रतिभाग किया। एजुकेशन फेयर के शुभारंभ के अवसर पर वियतनाम के हो ची मिन शहर स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास के काउंसलेट जनरल डॉ0 मदन मोहन सेठी मुख्य अतिथि के रूप में, प्रोफेसर विनय कुमार पाठक भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष के रूप में, प्रोफेसर पंकज मित्तल भारतीय विश्वविद्यालय संघ के जनरल सेक्रेटरी के रूप में, वियतनाम विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष, अन्य कई गणमान्य प्रतिनिधियों, अनेकों विश्वविद्यालयों के कुलपतियों, शिक्षकों एवं छात्र-छात्राओं की उपस्थित में संपन्न हुआ। एजुकेशन फेयर के उद्घाटन के अवसर पर दिए गए अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रोफेसर विनय कुमार पाठक ने कहा कि आज का दिन भारत एवं विश्व के लिए महान दिन है क्योंकि आज भगवान कृष्ण का जन्मदिन जन्माष्टमी मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत और वियतनाम के संबंध कोई आज के नहीं है बल्कि सदियों पुराने हैं। प्राचीन समय में भी वियतनाम के छात्र एवं स्कॉलर्स भारत में शिक्षा एवं बुद्धिस्ट नॉलेज के लिए यात्रा करते रहे हैं। तक्षशिला विश्वविद्यालय में भी वियतनाम से अनेकों छात्र एवं बौद्ध भिक्षु शिक्षा एवं शोध के लिए आते रहे हैं, ऐसे अनेकों प्रमाण मौजूद हैं। भारत एवं वियतनाम के बीच अनेकों समानताओं के कारण सांस्कृतिक और शैक्षणिक साझेदारी प्राचीन काल से चली आ रही है। मोदी जी के नेतृत्व में वर्तमान भारत सरकार भी वियतनाम के साथ अनेकों क्षेत्रों जैसे तकनीकी, व्यापार, उच्च शिक्षा आदि को नए स्तर पर पहुंचाने के लिए निरंतर प्रयासरत है। प्रोफेसर पाठक में आगे कहां कि मेरा दृढ़ विश्वास है कि बुद्धिस्ट स्टडी एवं परंपराओं को जानने एवं समझने के लिए वियतनाम और भारत के मध्य मजबूत संबंध स्थापित हो सकते हैं और भारतीय विश्वविद्यालय एवं उच्च शिक्षण संस्थान इसमें सहयोग के लिए पूर्ण रूप से तैयार हैं। भारत में उत्तर प्रदेश के वाराणसी, कुशीनगर आदि पूर्वी क्षेत्र में अनेको प्राचीन बौद्ध केंद्र एवं विरासत, बौद्ध शिक्षा एवं परंपराओं के केंद्र मौजूद है जहां आकर वियतनाम के छात्र एवं स्कॉलर्स ज्ञान प्राप्त कर लाभान्वित हो सकते हैं। भारत के अनेकों विश्वविद्यालयों में बौद्ध शिक्षा, हिंदू शिक्षा, योग, नृत्य, कृषि जैसे अनेकों विषयो में वियतनाम के छात्र-छात्राओं के लिए शिक्षण एवं शोध के अनेकों अवसर उपलब्ध है और हम आप सभी का भारतीय विश्वविद्यालयों में स्वागत करते हैं। एजुकेशन फेयर में आए सैकड़ो छात्र-छात्राओं ने छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के प्रतिनिधिमंडल में मौजूद प्रो0 सुधांशु पांड्या, डॉ० प्रभात द्विवेदी तथा कुलसचिव डॉ० अनिल कुमार यादव से विश्वविद्यालय में संचालित विषयों तथा उपाधियों के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की और सीएसजेएमयू के प्रति सर्वाधिक रुझान प्रदर्शित किया। डीन अंतरराष्ट्रीय संबंध प्रोफेसर सुधांशु पांड्या ने बताया कि आने वाले समय में वियतनाम से अनेकों छात्र-छात्राओं के सीएसजेएमयू में अध्ययन हेतु आने की प्रबल संभावना है। कुलसचिव डॉ0 अनिल यादव तथा एसोसिएट डीन डॉ0 प्रभात द्विवेदी ने माननीय कुलाधिपति एवं उत्तर प्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी का उत्तर प्रदेश के विश्वविद्यालयों और मुख्यतः छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के अंतरराष्ट्रीयकरण हेतु उनके सहयोग एवं मार्गदर्शन तथा कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक जी के नेतृत्व के लिए अत्यंत आभार व्यक्त किया।