सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के कुलपति माननीय प्रो0 विनय कुमार पाठक जी की प्रेरणा एवं कुशल मार्गदर्शन में विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज़ ने 14 सितंबर को हिंदी दिवस के उपलक्ष्य में हिन्दी: कल, आज और कल विषय पर एक गोष्ठी का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने बड़ी संख्या में भाग लिया। गोष्ठी का संचालन डॉ0 प्रभात गौरव मिश्र ने किया। उन्होंने कहा कि हिन्दी हमारी स्वप्न, संघर्ष और संस्कृति की भाषा है। डॉ0 सोनाली मौर्या ने कहा कि हिंदी के सम्यक् विकास के लिए हमें गाँधी जी हिंदुस्तानी शैली को आत्मसात् करना होगा। डॉ0 सुमना विश्वास ने अपने विशिष्ट वक्तव्य में कहा कि माँ, मातृभूमि और मातृभाषा को कोई विकल्प नहीं होता है। मुख्य वक्तव्य स्कूल ऑफ लैंग्वेजेज के निदेशक डॉ0 सर्वेश मणि त्रिपाठी जी ने दिया। डॉ0 त्रिपाठी ने हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए इसे हमारी सोच और स्वप्न की भाषा कहा। उन्होंने हिंदी में मौलिक शोध और सृजन की असीम संभावनाओं पर जोर दिया और इसे अपनों की तथा अपनेपन की भाषा के रूप में परिभाषित किया। धन्यवाद ज्ञापित करते हुए डॉ0 विकास कुमार यादव ने कहा कि शिक्षा, चिकित्सा और न्याय की भाषा अपनी होनी चाहिए। इसके बिना किसी देश का नवनिर्माण संभव नहीं है। इस गोष्ठी में विश्वविद्यालय के शिक्षकों जैसे डॉ0 पूजा अग्रवाल, डॉ0 ऋचा शुक्ला, डॉ0 लक्ष्मण कुमार, डॉ0 दीक्षा शुक्ला और डॉ0 शालिनी शुक्ला की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। इनके साथ-साथ कई कर्मचारी भी इस आयोजन का हिस्सा बने। गोष्ठी के दौरान विद्यार्थियों ने भी अपनी बात रखी और अपनी शानदार प्रस्तुतियों से गोष्ठी को जीवंत बना दिया। उनकी प्रस्तुतियों में स्वतंत्रता संग्राम से लेकर वर्तमान तक हिंदी की भूमिका को प्रभावशाली ढंग से चित्रित किया गया। कार्यक्रम के दौरान हिंदी के महत्व और उसकी विकास यात्रा पर विद्यार्थियों के विचार और प्रस्तुति ने सभी को प्रभावित किया। गोष्ठी का उद्देश्य हिंदी भाषा की अनसुनी कहानियों और उसके सामाजिक सांस्कृतिक महत्व को समझना और समझाना था, जो पूरी तरह सफल रहा। शिक्षकों और विद्यार्थियों ने इस अवसर पर हिंदी की बढ़ती भूमिका और इसकी उन्नति के लिए अपने विचार साझा किए, जिससे यह आयोजन और अधिक सार्थक हो गया।