
सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय और बृहत के सहयोग से सात दिवसीय संकाय संवर्धन कार्यक्रम 2024 का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का समन्वय शिक्षा मंत्रालय के भारतीय ज्ञान प्रणाली विभाग अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और भारतीय ज्ञान प्रणाली अध्ययन केंद्र (आईआईटी कानपुर) द्वारा किया गया। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य भारतीय ज्ञान प्रणालियों में विज्ञान और प्रौद्योगिकी के स्रोत, विचार, और अनुप्रयोगों को समझना और उस पर चर्चा करना था। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन और अतिथियों को अंग वस्त्र भेंट कर किया गया। स्वागत भाषण में डॉ0 वृष्टि मित्रा ने सभी अतिथियों का परिचय देते हुए भारतीय संस्कृति के विभिन्न आयामों पर ध्यान देने की आवश्यकता बताई। उन्होंने कहा कि हमें भारतीय ज्ञान प्रणाली और उसकी विभिन्न सुविधाओं को समझते हुए आगे बढ़ना है। इस संकाय में अंतरराष्ट्रीय प्रतिभागियों ने भी भाग लिया। भारत के समस्त राज्यों से भारतीय ज्ञान प्रणाली में रुचि रखने वाले विभिन्न संकायों के सहायक प्रवक्ता, शोधार्थी, एवं छात्र छात्राओं ने हिस्सा लिया। इस सात दिवसीय संकाय के आगामी सत्र में भारत के अलग अलग राज्यों से जुड़ रहे महान वक्ता अपने ज्ञान से श्रोताओं का ज्ञानवर्धन करेंगे। कार्यक्रम बृहत संस्थान के संस्थापक एवं सीईओ राघव कृष्णा ने कार्यक्रम की भूमिका स्पष्ट करते हुए कहा कि भारतीय ज्ञान प्रणाली जीवन के हर क्षेत्र में मार्गदर्शन करती है। उन्होंने बताया कि एक शिक्षक का काम छात्रों को भारतीय सभ्यता की गहरी समझ देना है और इसे आधुनिक जीवन में उपयोगी बनाना है। राघव कृष्णा ने सोशल मीडिया के माध्यम से सूचना प्रसार और विपणन के महत्व पर भी चर्चा की। उन्होंने बताया कि यह व्यक्तिगत और व्यवसायिक स्तर पर ब्रांड निर्माण, ग्राहक संलग्नता और सामाजिक प्रभाव को बढ़ाने में सहायक है। हालांकि इसके अत्यधिक उपयोग से मानसिक स्वास्थ्य और डेटा सुरक्षा चिंताओं का सामना करना पड़ रहा है। कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े चाणक्य यूनिवर्सिटी के एम एस चैत्रा ने प्राचीन ज्ञान परंपराओं की गहराई और विविधता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि भारतीय विश्वविद्यालय लर्निंग सिस्टम ने प्राचीन ज्ञान को आधुनिक तकनीकी विकास के साथ मिलाकर एक समृद्ध शैक्षणिक वातावरण तैयार किया है। अरनब भट्टाचार्य, भारतीय ज्ञान प्रणाली केंद्र, आईआईटी कानपुर ने कहा कि हमारी भारतीय संस्कृति तकनीक से कहीं दूर नहीं है। तकनीक और संस्कृति के बीच एक गहरा संबंध है, जो हमारी विज्ञान परंपरा से जुड़ा हुआ है। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसे कार्यक्रम समन्वयक डॉ0 अंशु सिंह ने प्रस्तुत किया। मंच संचालक के रूप में डॉ0 रत्नार्थु मिश्रा ने कार्यभार संभाला। इस अवसर पर प्रो0 नीरज कुमार सिंह जी अधिष्ठाता छात्र कल्याण, आदित्य खाता, डॉ0 मयूरी सिंह, डॉ0 वृष्टि मित्रा, सीडीसी आर के द्विवेदी के साथ छात्र-छात्राएं और प्रतिभागी उपस्थित रहे।