सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
ऑनलाइन माध्यम से हुआ कार्यक्रम
कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय और बृहत के सहयोग से सात दिवसीय संकाय संवर्धन कार्यक्रम (फ़ैकल्टी डेवलेपमेंट प्रोग्राम) 2024 जो की शिक्षा मंत्रालय के भारतीय ज्ञान प्रणाली विभाग, अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआईसीटीई) और भारतीय ज्ञान प्रणाली अध्ययन केंद्र (आईआईटी कानपुर) के समन्वय से आयोजित रविवार सातवें दिन के व्याख्यान का आयोजन ऑनलाइन माध्यम से किया गया। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का शुभारंभ मनीषा सेठ द्वारा किया गया। मनीषा सेठ ईकोएक्सिस्ट की संस्थापक है। वह अपने संगठन, ईकोएक्सिस्ट के माध्यम से पर्यावरण और सामाजिक प्रभाव पहलों में सक्रिय रूप से शामिल हैं। संधारणीय जीवन को बढ़ावा देने पर ध्यान केंद्रित करते हुए, वह उद्यमशीलता को पारिस्थितिक जिम्मेदारी के साथ जोड़ती हैं, जिसका लक्ष्य सामुदायिक व्यवहार में सार्थक बदलाव लाना है। उनका काम पर्यावरण के अनुकूल समाधानों और संधारणीय उत्पाद डिजाइन पर जोर देता है, स्थानीय कारीगरों का समर्थन करता है और पर्यावरण के प्रति जागरूक जीवन शैली की वकालत करता है। उन्होंने विसर्जन से पुनरावर्तन तक के सफर को विस्तार से समझाया कि किस प्रकार विसर्जन के बाद प्राप्त मिट्टी का प्रयोग वह शिल्पकारों की मदद से फिर मूर्ति बनाने मे करती है जो पुनरावर्तन कहलाता है। 2024 मे पुणे ठाणे और पिंपरी चिंचवड़कुल मिट्टी का कुल संग्रह 57116.6 किलोग्राम किया गया है। कार्यक्रम का दूसरा सत्र सुश्री प्रवीणा श्रीधर द्वारा लिया गया प्रवीणा श्रीधर रैली फॉर रिवर्स, ईशा फाउंडेशन में प्रमुख नीति विशेषज्ञ हैं, और उनके पास जल और संबंधित क्षेत्रों में कई वर्षों का समृद्ध और विविध अनुभव है। वह जल और स्वच्छता कार्यक्रम के लिए यूनिसेफ सलाहकार और अन्य बहुपक्षीय एजेंसियों और गैर-लाभकारी संगठनों के लिए सलाहकार रही हैं। स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी से पर्यावरण इंजीनियरिंग स्नातक प्रवीणा श्रीधर, सार्वजनिक नीति में 20 वर्षों का अनुभव रखती हैं, जो टिकाऊ पेयजल, स्वच्छता और किसान कल्याण पर केंद्रित है। वह सद्गुरु द्वारा मिट्टी संकट से निपटने के लिए शुरू किए गए एक वैश्विक आंदोलन, कॉन्शियस प्लैनेट- सेव सॉइल पहल में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। कार्यक्रम का तीसरा सत्र प्रो0 मोहन राघवन जी द्वारा लिया गया। प्रो0 राघवन हेरिटेज साइंस एंड टेक्नोलॉजी (एचएसटी) के प्रमुख के रूप में कार्य करते हैं और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और बायोमेडिकल इंजीनियरिंग विभागों में एसोसिएट प्रोफेसर हैं। भारतीय विज्ञान संस्थान (एमएससी), बेंगटुरू से पीएचडी के साथ, उनका शोध कम्प्यूटेशनल न्यूरोसाइंस, मोटर सिस्टम, बायोनिक्स और पुनर्वास सहित विविध क्षेत्रों में फैला हुआ है। डॉ0 राघवन विशेष रूप से उन्नत एआई, मशीन लर्निंग और मल्टीस्केल मॉडलिंग तकनीकों के माध्यम से सहायक और बायोमेडिकल डिवाइस बनाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं। उनकी विशेषज्ञता हेरिटेज साइंस में वर्चुअल और ऑगमेंटेड रियलिटी अनुप्रयोगों तक फैली हुई है, जो स्वास्थ्य सेवा और सांस्कृतिक संरक्षण में प्रभावशाली अनुसंधान के साथ अभिनव प्रौद्योगिकी को जोड़ती है। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ अकादमिक डीन डॉ0 ब्रिष्टि मित्रा जी ने सबका धन्यवाद करते हुए कार्यक्रम का समापन किया। कार्यक्रम समन्वयक डॉ0 अंशु सिंह ने भी सभी का धन्यवाद ज्ञापन किया। जिसमें ब्रहत् फाउंडेशन टीम के सदस्य सुशांत गांगुली जी, एवं भिन्न- भिन्न संस्थानों तथा डीपार्टमेंट से जुड़े विज्ञान एवं प्रौधोगिकी के छात्र- छात्राएं एवं प्रतिभागी उपस्थित रहे।