सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
तकनीक और नवाचार संग भारतीय शैक्षणिक संस्थानों ने बनायी है खास पहचान
सीएसजेएमयू कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक ने एआईयू डेलीगेशन के साथ तुर्की में भारतीय दल का किया प्रतिनिधित्व
साउथ एशिया के महत्वपूर्ण संस्थानों के प्रतिनिधियों के साथ सिम्पोजियम में लिया हिस्सा
कानपुर। दुनिया भर में रैकिंग और बेहतरीन रिसर्च के साथ साउथ एशिया के शैक्षणिक संस्थान अपना नाम बना रहे हैं। भारत में जिस तरह से तकनीक, नवाचार के समन्वय से विश्वविद्यालयों ने एक नई पहचान बनायी है, वह साउथ एशिया ही नहीं अपितु विश्व के अलग-अलग हिस्सों में अपना प्रभाव रखती है। हम अपने विश्वविद्यालयों में शिक्षण पद्दति में हर दिन नया और आवश्यकता के अनुसार बदलाव लाने के लिए प्रयत्नशील है। यह कहना है भारतीय विश्वविद्यालय संघ के अध्यक्ष और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक का जो तुर्की में हो रहे साउथ एशिया हायर एजुकेशन सिम्पोजियम में विशेषज्ञ के तौर पर वक्तव्य दे रहे थे। इंस्तानबुल में आयोजित इस चार दिवसीय कार्यक्रम में साउथ एशिया के प्रमुख एजुकेशनल इंस्टीटयूट के प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं। भारतीय विश्वविद्यालय संघ के प्रतिनिधियों का नेतृत्व करते हुए प्रो0 पाठक ने बताया कि दुनिया भर के विश्वविद्यालयों में जो नवाचार और अनुसंधान पर नवीनतम कार्य किए जा रहे हैं उस प्रकार का माहौल साउथ एशिया के विश्वविद्यालयों में भी देखा जा सकता है। हम अगर भारतीय विश्वविद्यालयों के सन्दर्भ में गौर करें तो यह देखा जा सकता है कि कितनी तेजी से हमने रैंकिंग और रिसर्च में विश्व के दूसरे देशों के साथ अपनी उपस्थिति प्रभावशाली तरह से बनायी है। ग्लोबल लेवल पर जो संस्थान अपने रिसर्च से नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं, हम अपनी विशेषताओं के साथ वहां पर भी जगह बना रहे हैं। भारतीय ज्ञान-विज्ञान परंपरा के साथ-साथ हमारे विश्वविद्यलयों के नए प्रकल्प दूसरे देशों के लिए आकर्षण का केंद्र बन रहे हैं। तकनीक के साथ आ रहा है बदलाव सिम्पोजियम में साउथ एशिया के विद्वानों के मध्य प्रो0 विनय कुमार पाठक ने उच्च शिक्षा में तकनीक के साथ किए जा रहे बदलावों को रेखाकिंत किया। उन्होने बताया कि इस दौर में तकनीक उच्च शिक्षा के भविष्य को नया आकार प्रदान कर रही है। एआई की भूमिका और इसका विस्तार सभी के लिए उपलब्ध है, लेकिन इसका उपयोग संस्थानों को विशिष्ट बनाने में मदद करेगा। हम अपने विश्वविद्यालयों में तकनीक का समावेशीकरण सभी विषयों में कर रहे हैं, ताकि स्टूडेंट्स को वैश्विक अवसरों के मुताबिक तैयार किया जा सके।