कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक जी की प्रेरणा से विश्व हिन्दी दिवस के अवसर पर दो दिवसीय भाषा उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। पहले दिन बुधवार को उद्घाटन सत्र में “हिंदी और कृत्रिम मेधा” विषय पर शिक्षाविदों और विशेषज्ञों का व्याख्यान हुआ, जिसमें बतौर मुख्य अतिथि प्रसिद्ध कवि पद्मश्री प्रोफेसर अशोक चक्रधर उपस्थित रहे।
कार्यक्रम की शुरुआत वेदमंत्रों से मां शारदा की वंदना के साथ कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक और मुख्य अतिथि ने दीप प्रज्ज्वलित करके की। हिंदी और कृत्रिम मेधा विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए मुख्य अतिथि ने कृत्रिम मेधा के इतिहास और उसके निकट भविष्य की चर्चा की। उन्होंने बताया कि कृत्रिम मेधा का उपयोग विवेकपूर्वक ढंग से करना चाहिए , कृत्रिम कभी भी मानवीय मूल्यों और भावों को विस्थापित नहीं कर सकती है क्योंकि कृत्रिम मेधा भावहीन और शरीरहीन होता है। एआई समुद्र है जिसमें हमें अपने ज्ञान का अंश डाल देना चाहिए। एआई के पास दिलात्मक दिमाग नहीं है या कहें कि दिमागात्मक दिल नहीं है जिसके कारण वह मनुष्य की बराबरी कभी नहीं कर सकता है। एआई ज्ञान का सृजन नहीं कर सकता है।
एआईसीटीआई के मुख्य समन्वय अधिकारी डॉ० बुद्ध चंद्रशेखर ने हिंदी की महत्ता बताते हुए उसमें तकनीकि का उपयोग करने का विचार रखा उन्होंने अनुवादिनी नामक सॉफ्टवेयर के बारे में बताया जिसे सरकार के सहयोग से निर्मित किया गया है जिसका कार्य लोगों को उनकी अपनी मातृभाषा में तत्काल अनुवाद करके बता सकती है और इसके उपयोग से समझना और समझाना सरल हो जायेगा।
डीयू के हिंदी विभाग के प्रो० अवनिजेश अवस्थी ने मनुष्यों की उत्पत्ति और एआई की उत्पत्ति के बारे में चर्चा की। उन्होंने विज्ञान की प्रगति की तुलनात्मक चर्चा करते हुए कहा कि विज्ञान वरदान और अभिशाप दोनों हो सकता है इसलिए सीमाओं का ज्ञान होना अति आवश्यक होता है।
विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति प्रोफेसर डाँक्टर सुधीर कुमार अवस्थी ने सभी वक्ताओं और श्रोताओं को कार्यक्रम में सम्मिलित होने के लिए आभार व्यक्त किया।
इस कार्यक्रम के दौरान एआईसीटीआई के मुख्य समन्वय अधिकारी डॉ० बुद्ध चंद्रशेखर, हिन्दी के मूर्धण्य कवि डॉ० ओम निश्चल, प्रो० अवनिजेश अवस्थी भी बतौर विशिष्ट अतिथि कार्यक्रम में उपस्थित हुए।