
सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
भारत-ब्रिटेन के बीच उच्च शिक्षा सहयोग को नई ऊंचाई: शॉर्ट-टर्म और इमर्शन प्रोग्राम को बढ़ावा देने के लिए समझौता ज्ञापन प्रो0 विनय कुमार पाठक ने किए हस्ताक्षर
भारतीय विश्वविद्यालय संघ और राष्ट्रीय भारतीय छात्र एवं पूर्व छात्र संघ, यूके के बीच समझौता, भारतीय विश्वविद्यालय को मिलेगा ग्लोबल एक्स्पोज़र
ब्रिटेन के छात्र भारतीय शिक्षा प्रणाली, तकनीकी नवाचारों, पारंपरिक ज्ञान और समृद्ध सांस्कृतिक से होंगे परिचित
भारत शिक्षा और नवाचार का बनेगा केंद्र, भारतीय विश्वविद्यालयों को मिलेगी नई पहचान: प्रो0 विनय कुमार पाठक
कानपुर नगर। भारतीय विश्वविद्यालय संघ (एआईयू) के अध्यक्ष और छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक ने भारतीय उच्च शिक्षा को वैश्विक स्तर पर पहुंचाने और भारत-ब्रिटेन के शैक्षणिक संबंधों को मजबूत करने के लिए लंदन में आयोजित एक कार्यक्रम में भारतीय विश्वविद्यालय संघ और राष्ट्रीय भारतीय छात्र एवं पूर्व छात्र संघ, ब्रिटेन के बीच एक एमओयू पर हस्ताक्षर किए। इस समझौते के माध्यम से ब्रिटेन के छात्रों को भारत में शिक्षा और सांस्कृतिक अनुभव का अनूठा अवसर प्राप्त होगा।
इस अवसर पर प्रो0 पाठक ने कहा कि भारत सदियों से शिक्षा और ज्ञान का केंद्र रहा है। प्राचीन काल में तक्षशिला और नालंदा जैसे विश्वविद्यालयों ने दुनिया भर के छात्रों को आकर्षित किया था। आज, हमारे आधुनिक विश्वविद्यालय भी उच्च गुणवत्ता वाली शिक्षा प्रदान करने के लिए तत्पर हैं। उन्होंने कहा कि यह समझौता ज्ञापन हमारे उच्च शिक्षा क्षेत्र के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। यह साझेदारी छात्रों के लिए नई संभावनाओं के द्वार खोलेगी। उन्होंने कहा कि यह सहयोग ब्रिटेन के छात्रों को भारत में शॉर्ट-टर्म और इमर्शन प्रोग्राम में भाग लेने के लिए प्रेरित करेगा और उन्हें भारतीय शिक्षा, संस्कृति और विविधता से सीधे जुड़ने का अवसर देगा। उन्होंने कहा कि यह समझौता भारतीय शिक्षा प्रणाली की वैश्विक पहचान को और मजबूत करेगा तथा भारत को एक प्रमुख एजुकेशन हब के रूप में स्थापित करेगा।
अकादमिक और व्यवसायिक कौशल के साथ भारतीय संस्कृति से परिचित होंगे ब्रिटिश छात्र
प्रो0 पाठक ने कहा कि यह शॉर्ट-टर्म और इमर्शन प्रोग्राम ब्रिटिश छात्रों को भारत में हमारी विविधतापूर्ण शिक्षा प्रणाली, तकनीकी नवाचारों, पारंपरिक ज्ञान और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से अवगत कराएगा। इससे उन्हें न केवल अकादमिक और व्यावसायिक कौशल विकसित करने में मदद मिलेगी, बल्कि वे भारत की सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक गतिशीलता को भी समझ सकेंगे।