
सहारा न्यूज टुडे सुनील तिवारी
कानपुर नगर। हिन्दू नववर्ष 2082 शुक्ल प्रतिपदा नववर्ष का शुभारंभ पर कानपुर छोटा काशी श्री आनंदेश्वर महादेव मंदिर में रविवार को विशेष पूजन किया गया। इस दौरान धर्म ध्वजा निशान श्री आनंदेश्वर महादेव जी का विशेष श्रृंगार किया गया। धर्म ध्वजा (गुड़ी) बनाने के लिए सबसे पहले एक भूमि (मिट्टी ) का कलश लिया गया और उसे बांस की छड़ी पर उल्टा रखा, लाल कपड़े (साड़ी ) से सजाया गुड़ी को नीम या आम के पत्तों, फूलों और मिठाई की माला से सजा कर पूजा की गई। हिन्दू नव वर्ष पर बाबा शिव का आशीर्वाद लेने हजारों की संख्या में मौजूद भक्तगणों एवं मंदिर पुजारी ने विशेष पूजन के बाद आरती की। जूना अखाड़ा गुरुमूर्ति पूज्य श्री अरुण भारती जी महाराज, परम पूज्य श्री अवधेशानंद जी महाराज, अत्रीवन महाराज, जूना अखाड़ा मीडिया प्रभारी आशुतोष कुमार अंश ने श्रीआनंदेश्वर महादेव की पूजन के दौरान समाज में सुख शांति और समृद्धि की कामना की और कहा हिंदुओं का नया वर्ष कैलेंडर 31 दिसंबर से नहीं बल्कि विक्रम संवत 2082 से हो रहा है। ज्योतिष और वैज्ञानिक गढ़ना के अनुसार हिंदुओं के नए वर्ष की तिथि से ही ग्रहों का नक्षत्र का चलन होता है। नया विक्रम संवत रविवार से शुरू हुआ है। इसलिए इस साल के राजा सूर्यदेव, मंत्री और सेनापति का पद भी सूर्य देवता को ही मिलेगा। हिन्दू कैलेंडर के मुताबिक, चैत्र मास की शुक्ल प्रतिपदा को नए साल की शुरुआत होती है। हिंदू नव वर्ष पर सभी सनातनी व हिंदू धर्म के मानने वाले लोगों को अपने घर पर धर्म ध्वजा स्थापित कर लोगों को शुभकामनाओं का संदेश देना चाहिए। हिन्दू कैलेंडर में शुक्ल प्रतिपदा को पहली तिथि मानी जाती है। हिंदू पंचांग का कैलेंडर है विक्रम संवत हिंदू धर्म के लोग शादी-विवाह, पूजा-पाठ आदि की तिथि देखते हैं। ये 57 ईसा पूर्व में आरंभ हुआ था। जूना अखाड़ा संरक्षक एवं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद महामंत्री परम हरि गिरी जी महाराज, परम पूज्य नारायण गिरी जी महाराज के निर्देशन पर मंदिर प्रशासन ने किए गए कार्यक्रम में सभी भक्तगण शामिल हुए तो जूना अखाड़े के परम पूज्य अरुण भारती जी महाराज, जूना अखाड़ा मीडिया प्रभारी आशुतोष कुमार अंश, पूज्य अवधेशानंद जी महाराज, परम पूज्य अत्री वन जी महाराज, आचार्य प्रमोद शास्त्रीकीर्ति अग्निहोत्री (पूर्व पार्षद) अजय पुजारी, संजय पुजारी, अभय मिश्रा, जीतू बाजपेई पार्षद परमट अनूप मिश्रा 13 मढ़ी परम पूज्य सतनारायण गिरी जी महाराज मौजूद रहें।