सहारा न्यूज टुडे/दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर के 59वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में माननीय कुलपति महोदय की प्रेरणा से विश्वविद्यालय के स्कूल आफ हेल्थ साइंसेस और पालीवाल डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के संयुक्त तत्वावधान में निःशुल्क आयुर्वेद एवं योग पद्धति द्वारा मधुमेह प्रबंधन शिविर का आयोजन विश्वविद्यालय के स्वास्थ्य केन्द्र में संपन्न हुआ।
शिविर का उद्घाटन विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति प्रो0 विनय कुमार पाठक, पालीवाल डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख डा0 उमेश पालीवाल, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्या डाॅ0 वन्दना पाठक, वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डाॅ0 निरंकार गोयल, प्रति कुलपति प्रो0 सुधीर कुमार अवस्थी, कुलसचिव डाॅ0 अनिल कुमार यादव, संस्थान के निदेशक डाॅ0 दिग्विजय शर्मा आदि ने दीप प्रज्ज्वलन एवं ऋषि चरक की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर किया। इस शिविर में 43 रोगी पंजीकृत हुए थे जिनमें से 38 रोगियों ने प्रतिभाग किया। इन सभी रोगियों को वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्या डाॅ0 वन्दना पाठक एवं वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डाॅ0 निरंकार गोयल द्वारा आयुर्वेदिक जीवन पद्धति का परामर्श और निःशुल्क औषधि प्रदान की गई। योग का अभ्यास डाॅ0 राम किशोर के निर्देशन में कराया गया। रोगियों की मधुमेह जांचें पालीवाल डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा निःशुल्क रूप से सम्पन्न हुईं।
इस अवसर पर माननीय कुलपति जी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय पारंपरिक पद्धतियाँ न ही केवल रोगों का प्रबंधन करती हैं बल्कि जड़ से समाप्त करती हैं, परन्तु इन पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिक अनुसंधान की आवश्यकता है। आधुनिक चिकित्सा पद्धति में मधुमेह रोग की औषधियां महँगी भी पड़ती हैं और उनसे विभिन्न प्रकार के अन्य दुष्प्रभाव भी आते हैं। औषधि और आहार दोनों में प्रयुक्त होने वाले रसायन भी हमारे स्वास्थ्य को सीधे-तौर पर प्रभावित करते हैं। मधुमेह रोग का मुख्य कारण अव्यवस्थित जीवनशैली और तनाव है, जिसके निवारण हेतु आयुर्वेद, योग, गीता, आदि वैदिक ग्रन्थों में पर्याप्त परामर्श उपलब्ध है। अब समय आ गया है कि हमें स्वास्थ्य संरक्षण संवर्धन और रोगोपचार आदि में शास्त्र का सहारा लेना पड़ेगा। तनाव प्रबंधन के लिए गीता का संदेश सबसे उपयोगी है। हम सबको अपने तनाव प्रबंधन हेतु नियमित गीता का अध्ययन करना चाहिए। विश्वविद्यालय का सौभाग्य है कि अपने शैक्षणिक कार्यों के साथ-साथ विभिन्न शिविरों आदि के माध्यम से जनमानस की सेवा के कुछ प्रयोजन भी होते रहते हैं।
इस अवसर पर शिविर की सूत्रधार डाॅ0 वन्दना पाठक महोदया ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि इस शिविर का उद्देश्य रोगियों को औषधि के बिना या न्यूनतम औषधि पर जीवन पद्धति और योग के द्वारा मधुमेह का प्रबंधन करना है। उन्होंने कहा सामान्यतया रोगी औषधि लेते रहते हैं जिसके परिणामस्वरूप जाँच में मधुमेह का स्तर तो नियंत्रित रहता है परंतु शरीर के अन्य अंगों पर उसके दुष्परिणाम आते रहते हैं क्योंकि औषधि के द्वारा इन्सुलिन के स्रावण पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। शिविर में आने वाले सभी रोगियों की प्रारंभिक मध्य और अंत में जाँच कर इन पर आयुर्वेदिक औषधि, जीवन पद्धति और योग के अभ्यासों का प्रभाव देखा जाएगा। और प्रयास किया जायेगा कि धीरे-धीरे उनकी रक्त शर्करा जीवन पद्धति और योगाभ्यास के द्वारा ही नियंत्रित रहने लगे। यदि अनुसंधान में इन्सुलिन का स्रावण जीवन पद्धति और योगाभ्यासों के द्वारा सिद्ध हो जाता है तो यह समाज के लिए एक वरदान साबित होगा।
वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य डाॅ0 निरंकार गोयल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आयुर्वेदिक ग्रंथों में स्वस्थ्य जीवन हेतु जीवन पद्धति पर विशेष बल दिया गया है। इसके अंतर्गत आहार, सोना, जागना आदि का मौसम, लिंग, आयु, रोग आदि के आधार पर वर्णन है। मधुमेह रोग के प्रबंधन हेतु हमें अपने आहार और जीवन पद्धति पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके पालन बिना रोग का प्रबंधन मुश्किल है। विश्वविद्यालय के प्रति-कुलपति प्रो0 सुधीर कुमार अवस्थी जी ने कहा कि अग्नाशय मानव शरीर का अद्भुत अंग है इसकी अल्फा, बीटा कोशिकाएं एक-दूसरे को नियंत्रित करती हैं। अव्यवस्थित और तनावग्रस्त जीवन का क्रम जब अनवरत बना रहता है तो ये कोशिकाएं एक-दूसरे को नियंत्रित नहीं कर पातीं और मनुष्य मधुमेह रोग से ग्रसित हो जाता है। पालीवाल डायग्नोस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड के प्रमुख डाॅ0 उमेश पालीवाल ने कहा मधुमेह रोग में जहां तक संभव हो औषधि से बचकर हमें अपनी जीवन पद्धति और आहार आदि को अपनाकर मधुमेह का प्रबंधन करना चाहिए। औषधियों का विकल्प हरदम अन्तिम रखना चाहिए क्योंकि औषधियाँ कहीं-न-कहीं शरीर के अन्य अंगों को क्षतिग्रस्त करती हैं। रोगी को नियमित जाँचें अवश्य करवानी चाहिए ताकि हम अपनी रोग के स्तर को जानकर उसके अनुसार जागरूक रह सकें।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ0 अनिल कुमार यादव जी ने उपस्थित सभी अतिथियों, पत्रकार-बंधुओं, रोगियों, छात्र-छात्राओं और संस्थान के सभी स्वजनों के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय के माननीय कुलपति महोदय के नेतृत्व में अनेकों उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं जिसमें डाॅ0 वन्दना पाठक महोदया का भी विशेष योगदान है।
संस्थान के निदेशक डाॅ0 दिग्विजय शर्मा जी और सहायक निदेशक डाॅ0 मुनीश रस्तोगी जी ने कार्यक्रम के प्रारंभ में सभी सम्मानित अतिथियों का स्वागत-सम्मान किया तथा कार्यक्रम का संचालन संस्थान के सहायक आचार्य डाॅ0 राम किशोर जी ने किया। इस अवसर पर संस्थान के शिक्षक/शिक्षिका डाॅ0 अनामिका दीक्षित, डाॅ0 आकांक्षा बाजपेयी (पीटी), डाॅ0 वर्षा प्रसाद, डाॅ0 नेहा शुक्ला (पीटी), डाॅ0 चन्द्रशेखर कुमार (पीटी), डाॅ0 हिना वैश (पीटी), डाॅ0 आदर्श कुमार श्रीवास्तव (पीटी), डाॅ0 उमेश मौर्या (पीटी), सुश्री आमिना जैदी, श्री धीरज कुमार, डाॅ0 प्रदीप कुमार वर्मा, डाॅ0 अल्का कटियार आदि उपस्थित रहे।