सहारा न्यूज टुडे
कानपुर नगर। जिलाधिकारी कार्यालय सोमवार को भावनाओं से भर गया। जिलाधिकारी जितेंद्र प्रताप सिंह ने जैसे ही दत्तक ग्रहण आदेश का प्रमाणपत्र तीनों दंपत्तियों को सौंपा, वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो उठीं। जिन घरों में बरसों से इंतजार था, वहां अब बच्चों की किलकारियां गूंजेंगी।
हालात ने नन्हें मासूमों को छोड़ा अकेला, अब मिला सहारा
नवजात परी को नजीराबाद थाने के अंतर्गत लावारिस पाया गया था। नवजात करन कोतवाली क्षेत्र से निराश्रित अवस्था में मिला और नवजात सोना अनवरगंज रेलवे स्टेशन पर अकेली मिली थी।
इन तीनों बच्चों को बाल कल्याण समिति के आदेश से स्वरूप नगर स्थित राजकीय विशेषज्ञ दत्तक ग्रहण इकाई / बालिका गृह में रखा गया। वहीं से इनकी देखरेख हुई और कानूनी प्रक्रिया पूरी कर इन्हें स्वतंत्र घोषित किया गया। आज ये तीनों नए परिवारों की धरोहर बन गए। तीन मासूमों को ममता और स्नेह मिला और तीन दंपत्तियों को जीवन का सबसे बड़ा उपहार।
कौन बने माता-पिता
हैदराबाद के प्रवीण कुमार दीवानजी और लता श्रीवास्तव ने परी को गोद लिया, जिसका नया नाम रखा गया रायिनी। धनबाद (झारखंड) के दिनेश कुमार तिवारी और अनामिका तिवारी ने करन को गोद लिया, जिसका नाम रखा गया आयांस तिवारी। जयपुर के भीमराज और मीना देवी ने सोना को गोद लिया, जिसे अब वान्या नाम मिला है।
भावनाओं से भरे पल
जब लता श्रीवास्तव ने नन्हीं रायिनी को सीने से लगाया, उनकी आंखें छलक पड़ीं। मीना देवी ने वान्या का माथा चूमा, तो दिनेश तिवारी ने आयांस को गोद में भरकर कहा कि आज हमारा घर पूरा हो गया।
गोद लेने की प्रक्रिया पूर्णतया पारदर्शी
यह पूरी प्रक्रिया महिला एवं बाल विकास मंत्रालय अधिसूचना 2022 और किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधानों के तहत CARA (केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण) के पोर्टल (https://cara.wcd.gov.in/) के माध्यम से संपन्न हुई।
गोद लेने के इच्छुक दंपत्तियों को पैन कार्ड, आधार, जन्म व विवाह प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र/आईटीआर, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और नवीनतम फोटो सहित दस्तावेज ऑनलाइन अपलोड करने होते हैं। इसके बाद जिला बाल संरक्षण इकाई आवेदक की गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार कर पोर्टल पर अपलोड करती है। तभी आवेदन प्रक्रिया में आता है।
इसी क्रम में तीनों दंपत्तियों ने वर्ष 2021 में आवेदन किया था। सभी औपचारिकताओं के बाद अगस्त 2025 में फी-फॉस्टर केयर एडॉप्शन कमेटी के निर्णय पर निर्धारित शुल्क जमा कर बच्चों को अस्थायी रूप से सौंपा गया। अंतिम आदेश हेतु आज 27 अक्तूबर को जिलाधिकारी कार्यालय में साक्षात्कार हुआ और आदेश जारी कर दिया गया। इस दौरान अपर जिलाधिकारी नगर डॉ राजेश कुमार तथा जिला प्रोबेशन अधिकारी विकास कुमार भी मौजूद रहे।
जिलाधिकारी ने दी बधाई
जिलाधिकारी ने कहा कि दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और सुरक्षित है। गोद लेना केवल CARA पोर्टल से ही मान्य है। किसी अन्य माध्यम से की गई प्रक्रिया विधिक रूप से अमान्य होगी। उन्होंने तीनों दंपत्तियों को घर में नए सदस्य आने की बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
गोद लेने की प्रक्रिया
दत्तक ग्रहण की प्रक्रिया केवल केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण (CARA) के पोर्टल https://cara.wcd.gov.in से ही मान्य है। किसी अन्य माध्यम से किया गया गोद लेना विधिक रूप से अवैध माना जाएगा। इसके लिए आवेदक दंपत्ति को पैन कार्ड, आधार कार्ड, जन्म प्रमाण पत्र, विवाह प्रमाण पत्र, आय प्रमाण पत्र अथवा आयकर विवरणी, स्वास्थ्य प्रमाण पत्र, निवास प्रमाण पत्र और नवीनतम फोटो जैसे सभी आवश्यक दस्तावेज ऑनलाइन जमा करने होते हैं। इसके उपरांत जिला बाल संरक्षण इकाई आवेदक का सामाजिक और आर्थिक मूल्यांकन करते हुए गृह अध्ययन रिपोर्ट तैयार करती है और उसे पोर्टल पर अपलोड करती है। जब सारी औपचारिकताएँ पूरी हो जाती हैं तो पहले बच्चों को फॉस्टर केयर में सौंपा जाता है, जिसके दौरान दंपत्ति को निर्धारित शुल्क जमा करना पड़ता है। अंतिम चरण में जिलाधिकारी कार्यालय में सुनवाई और साक्षात्कार होता है तथा सभी नियम पूरे होने पर जिलाधिकारी द्वारा विधिक रूप से दत्तक ग्रहण का आदेश जारी किया जाता है।



