सहारा न्यूज टुडे संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र, दिलीप नगर के पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर शशीकांत ने बताया कि बढ़ती हुई गर्मी से पशु पक्षी तापमान से ग्रसित हो रहे हैं। दुधारू पशुओं का दूध उत्पादन कम हो जाता है। पशुओं में भूख कम हो जाती है एवं सूखा चारा खाने, हिलने डुलने से शरीर का तापमान बढ़ जाता है। जिससे पशुओं की सांस जोर-जोर से चलने लगती है। उन्होंने बताया कि पसीना भी ज्यादा आता है और दूध उत्पादन कम होने के साथ ही साथ पशु प्रजनन क्षमता और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी काम हो जाती है। डाॅ0 शशिकांत ने बताया कि भैंस को गाय की अपेक्षा अधिक गर्मी लगती है क्योंकि भैंस की त्वचा का रंग काला होना एवं पसीने की ग्रंथियां की संख्या कम होने के कारण होता है ऐसे मौसम में पशुपालक भाई अपने पशुओं को विशेष देखभाल करने की जरूरत है।उन्होंने सलाह दी है कि जानवरों को सुबह 9:00 बजे से पहले एवं शाम को 4:00 बजे के बाद चराने के लिए तथा भरपेट पानी पीने देना चाहिए। गर्मी को देखते हुए शेड का निर्माण करना चाहिए, ताकि साफ व स्वच्छ हवा आसानी से आ सके। उन्होंने बताया शेड के छत पर सफेद चूना पेंट की पुताई करके उसके ऊपर फसल अवशेष फैला देना चाहिए। जिससे सूर्य की किरणों को परावर्तित करने में मदद मिलेगी। साथ ही गर्मी का असर भी काम हो जाएगा। उन्होंने बताया कि दोपहर के समय खिड़कियों पर जुट के बोरे को गीला करके लटकाना चाहिए। पशुओं को सुबह-शाम ठंडा या साफ पानी से नहलाना चाहिए। इसके अलावा प्रतिदिन प्रति पशु 250 ग्राम गुड़ का शरबत बनाकर शाम की समय पशुओं को देना चाहिए। साथ ही 50 ग्राम मिनरल मिश्रण एवं 50 ग्राम सेंधा नमक देने से पशु का स्वास्थ्य ठीक बना रहेगा।