सहारा न्यूज टुडे/दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय कानपुर के साकभाजी अनुभाग द्वारा एक्रिप आलू फसल योजना के अधीन अनुसूचित जाति उप योजना अंतर्गत ग्राम बिहारीपुरवा में एक दिवसीय आलू उत्पादन प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर कार्यक्रम के आयोजक एवं साग भाजी अनुभाग के प्रभारी अधिकारी डॉक्टर आर बी सिंह द्वारा बताया गया कि आलू फसल में अधिकांश प्रजातियां 90 से सौ दिनों में परिपक्व हो जाती हैं। जब फसल परिपक्व हो जाती है तो उस समय बेल की कटाई कर देनी चाहिए। उन्होने बताया कि बेल कटाई का कार्य खुदाई के 10 से 15 दिन पहले की जानी चाहिए। बेल काटने से आलू कंद का छिलका कड़ा हो जाता है। जिससे आलू कंदों के भंडारण क्षमता में सुधार होता है। इस अवसर पर वैज्ञानिक डॉक्टर राजीव द्वारा बताया गया कि आलू की पछेती फसल में जिंक, लोहा एवं बोरोन सूक्ष्म पोषक तत्वों का परणीय छिड़काव करें। डॉक्टर संजीव सचान ने आलू के विपणन एवं भंडारण विषय पर जानकारी देते हुए कहा कि आलू का कंद के आकार के आधार पर ग्रेडिंग की जानी चाहिए। डॉक्टर अजय कुमार यादव द्वारा आलू फसल पर लगने वाले रोगों एवं निदान के बारे में बताया तथा कहा कि झुलसा रोग के लिए समय से रीडोमिल दवाई का प्रयोग करें। इस अवसर पर डॉक्टर अरुण कुमार सिंह द्वारा आलू फसल में कीट प्रबंधन पर जानकारी दी तथा एमिडेक्लोप्रिड के छिड़काव की सलाह दी डॉक्टर शशिकांत ने आलू फसल में सिंचाई करते समय दो तिहाई तक मेड की ऊंचाई तक पानी लगाने की सलाह दी। कार्यक्रम में 100 से अधिक आलू उत्पादकों एवं कृषक महिलाओं द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता देशराज भारतीय द्वारा की गई।