सहारा न्यूज टुडे/दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। एकात्म मानव दर्शन एवं अंत्योदय जैसी विचारधारा की प्रेरणा स्रोत पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की पुण्यतिथि पर आज छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर एवं एवं दीनदयाल शोध केंद्र के सभागार में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ विश्वविद्यालय के यशस्वी कुलपति प्रोफेसर विनय कुमार पाठक एवं प्रतिकुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार अवस्थी द्वारा पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं श्रद्धांजलि देकर कार्यक्रम का शुभारंभ किया।
कुलपति प्रोफेसर पाठक ने दीनदयाल जी की जीवन को स्मरण करते हुए बताया कि केवल हमें दीनदयाल जी को पढ़ना ही नहीं बल्कि उनके बताएं रास्ते पर चलना भी चाहिए। आज की आवश्यकता है हमें पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के विचारों को अपने जीवन में उतारकर समाज के लिए स्वयं का उदाहरण प्रस्तुत करना चाहिए, प्रति कुलपति प्रोफेसर अवस्थी ने अपने उद्बोधन में बताया की जब दीनदयाल जी संघ के प्रचारक थे और किसी दिन जब कार्यालय देर रात को लौटते थे, तू कार्यालय में रहने वाली किसी भी स्वयंसेवक को नहीं जागते थे और बाहर बरामदे में ही अपनी शॉल बिछाकर सो जाते थे कितना सादगी भरा कितना समर्पित उनका जीवन था निश्चित रूप से उनके विचार एवं चिंतन ने भारतीय राजनीति को एक नई दिशा दी।
आभार ज्ञापन कर्मकांड विषय के आचार्य डॉक्टर श्रवण कुमार द्विवेदी द्वारा दिया गया। इस अवसर पर डॉक्टर स्वयं प्रकाश अवस्थी, डॉक्टर ओम शंकर गुप्ता, डॉक्टर अभिषेक मिश्रा, डॉक्टर प्रभात गौरव, डॉक्टर प्रदीप तिवारी, डॉक्टर धनंजय डे अंशुमान एवं विजय उपस्थित रहे।