सहारा न्यूज टुडे/संम्पादक दुर्गेश कुमार तिवारी
कानपुर। कानपुर का 16वाँ स्थापना दिवस समारोह आयोजित किया गया। इस अवसर पर ‘सतत् विकास हेतु प्राकृतिक खेती पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी’ का प्रारंभ हुआ। कार्यक्रम का प्रारंभ अध्यक्ष, मुख्य अतिथि, विशिष्ट अतिथियों एवं निदेशक अटारी कानपुर द्वारा दीप प्रज्जवलन के साथ किया गया। मुख्य अतिथि श्री अभय महाजन, संगठन सचिव, दीनदयाल शोध संस्थान, नई दिल्ली ने अपने उद्बोधन में कहा कि वर्तमान समय में कृषि विज्ञान केन्द्र की देश में महत्वता काफी बढ़ चुकी है और प्राकृतिक खेती ऐतिहासिक रूप से भारत की संस्कृति एवं परम्परा से जुड़ी हुई है। इस विधा को पुनः जागृत करने की आवश्यकता है। इस दिशा में किसान, प्रसार विशेषज्ञ एवं शोधकर्ताओं की भागीदारी अपरिहार्य है।
अपने अभिभाषण में कार्यक्रम के अध्यक्ष प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी, प्रतिकुलपति, छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर ने बताया कि उनका विश्वविद्यालय भाकृअनुप-अटारी कानपुर के साथ मिलकर प्राकृतिक खेती के प्रोत्साहन हेतु कार्य कर रहा है। उन्होंने मिट्टी में जीवांश की महत्ता पर जोर डाला। इस अवसर पर डाॅ0 यू.एस. गौतम, उपमहानिदेशक (कृषि प्रसार), नई दिल्ली वर्चुअल माध्यम से कार्यक्रम में जुड़े। अपने उद्बोधन में उन्होंने बताया कि 21.03.2024 को कृषि विज्ञान केन्द्रों के 50 वर्ष पूर्ण हो रहे हैं और इस अवसर पर एक गोल्डन जुबली कार्यक्रम वर्षभर मनायें जायेंगे। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि डाॅ0 जी.पी. दीक्षित, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर एवं डाॅ0 आर. विश्वनाथन, निदेशक, भाकृअनुप-भारतीय गन्ना अनुसंधान संस्थान लखनऊ ने भी अपने उद्बोधन दिये। इससे पूर्व अपने स्वागत अभिभाषण में डाॅ0 शान्तनु कुमार दुबे, निदेशक, भाकृअनुप-अटारी कानपुर ने सभी अतिथियों का स्वागत किया एवं उन्होंने अटारी कानपुर की विगत वर्षों की प्रगति, कार्यकलापों और उपलब्धियों के बारे में बताया। साथ ही उन्होंने प्राकृतिक खेती पर आयोजित इस संगोष्ठी की पृष्ठभूमि बताई और उन्होंने बताया कि प्राकृतिक खेती परियोजना में उत्तर प्रदेश के 52 जिलों के कृषि विज्ञान केन्द्र सम्मिलित हैं जिनमें 26 गंगा किनारे के जिले सम्मिलित हैं। उन्होंने बताया कि अटारी कानपुर संस्थान का कार्य उत्तर प्रदेश के 89 कृषि विज्ञान केन्द्रों के लिये कार्ययोजना विकसित करवाना, निगरानी करना एवं कार्यों का मूल्यांकन करना एवं नई-नई तकनीकों को कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों के प्रक्षेत्रों पर परीक्षण एवं प्रदर्शन करवाना है। कृषि विज्ञान केन्द्र किसानों को संगठित करने और स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं।
इस अवसर पर चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रो. विश्वविद्यालय, कानपुर एवं भाकृअनुप-अटारी कानपुर के मध्य एम.ओ.यू. हस्ताक्षरित हुआ। संगोष्ठी में प्राकृतिक खेती परियोजना से जुड़े 52 कृषि विज्ञान केन्द्रों के वैज्ञानिकों, कृषकों एवं छात्रों ने भी प्रतिभाग किया। इस अवसर पर संस्थान के समस्त स्टाफ कार्यक्रम में उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन प्रधान वैज्ञानिक डाॅ0 राघवेन्द्र सिंह ने किया एवं कार्यक्रम के अन्त में प्रधान वैज्ञानिक डाॅ0 एस.के. सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन किया।